Thursday, May 20, 2010

हिन्द की माता ,,,,,,,,,,,,हिन्दी


मैं हिंदी हूँ,मेरा जन्म सदियों पहले हुआ और मुझे हिंद की माँ होने का सोभाग्या प्राप्त है.विश्व की सब वाषाओं में सबसे ज्यादा उम्र मेरी ही है.बड़े बड़े देवी देवताओं ने मुझे माँ कह कर मुझे अपनाया.मेरे ही सहारे से आम इन्सान से देवता बने.महारिशी बाल्मिक,वेद व्यास गुरु नानक देव जी से लेकर तुलसी दास,कालिदास,संत कवीर और भी हजारो संत हुए है,इन्होने कोई लड़ियाँ नहीं लड़ी कोई युद्ध नहीं जीता, इन सभी ने मेरे नाम का सहारा लिया.कलम के जादूगर बने और प्रसिद्धी हासिल की और अपने साथ साथ मेरा भी नाम रोशन किया,इन्ही की लेखनी से मुझे विश्व भर में पहचाना मिली,संस्कृत मेरी माँ है क्योंकि जन्म इन्ही से हुआ.और उर्दू ,कश्मीरी,बंगाली,उरिया,पंजाबी,रोमानी,मराठी और नेपाली ये सब मेरी बहने है.मेरा वजूद सिर्फ हिंद तक सिमित नहीं है,मेरी पहचान १३७ देशो में है.मैं चीनी बाषा के बाद दुसरे स्थान पर थी,लेकिन पिछले दो दशको से मेरा विस्तार बढ़ी तेजी से हुआ,अब तो अंग्रेजी की पैदाइश कम्प्यूटर ने भी मान लिया है की वो भी मेरे बिना अधूरा है.पुरे विश्व में मेरे १५० से ज्यादा हिंदी विश्व विध्यालय है.अब समूचे विश्व में चीनी वाषा के प्रयोग करने वालो से कंही अधिक हिंदी जानने वालो की है इसलिए अब मैं अंग्रेजी सहित विश्व की सभी वषाओं को पीछे छोड़ पहले स्थान पर आगयी हूँ,आज विश्व भर में हिंदी की पत्र पत्रिकाएँ मोजूद है और वो इस बात की गवाह है की विदेशों में बसे हिंद्पुत्र आज भी अपनी माँ बोली वाषा और अपनी धरती माँ से जुढ़े हुए है.अतः मैं उन सभी की शुक्रगुजार हूँ जिन्होंने अब तक मुझे पढ़ा लिखा और विदेशों में भी जाकर मेरे असितत्व को बरकरार रखा.मेरे विश्व्विस्तार में मेरा साथ दिया,मैं अपनी आने वाली पीढ़ी को भी प्राथना करती हूँ की चाहे वो विश्व के किसी भी कोने मैं हों मेरे असितत्व मेरी गरिमा को बनाये रखे. मैं आपके अच्छे वभिष्य की मंगल कामना करती हूँ,मैं प्रभु के श्री चरणों में विनती करती हूँ के वो हिन्द और हिंद्पुत्रो का पुरे विश्व में वभिष्य उज्वल हो पुरे विश्व से एक ही आवाज आये ,,,,,,,,,,जय हिन्द जय हिंदी.

1 comment:

  1. जय हिन्द जय हिंदी.
    बिलकुल ही सही और बुद्धिमानी भरा नारा दिया है आपने.
    हम सभी को सीखने की जरूरत है कि हम हिंगलिश न बोलें और अपनी मातृभाषा हिन्दी से प्रेम करें.

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