Saturday, May 14, 2011

दान का अर्थ है - 'देने की क्रिया'


7 महादान जो हमारे बुरे कर्मो को खत्म करके हमें मोक्ष की ओर ले जाते है.' . . . . . . . .

1 जीते जीते रक्त दान ,,[महादान ] किसी की जिन्दगी को बचा सकते है और हमारे शारीर पर कोई दुषप्र्वाभ नही होता,,
2जाते जाते नेत्र दान [महादान ] किसी के अंधेपन [महाश्राप ] को ख़त्म कर नई दुनिया दिखता है,
3 गौ दान [महादान ] गौ दान को हमारे धर्म में सबसे बढ़ा दान कहा है क्योंकि मौत के बाद गौ माता ही हमारी आत्मा को भवसागर पार करवाती है,.

4 ,भूमिदान , [महादान] किसी भी धार्मिक स्थल या गौशाला को कुछ भूमि[जमीन ] का दान में दे.

5 ,तुलादान , [महादान] इस दान में हमें अपने वज़न के बराबर सात अनाज+लोहा+सरसों का तेल किसी शनिदेव के मंदिर में दान दे या किसी पाण्डे[ पंडित नही ]को बुला कर दान करे. , इससे हमारे नवग्रह की शांति होती है,

6 ,समयदान [महादान]ये दान सबसे अनोखा है और सबसे आसान भी. अपने कीमती समय में से कुछ समय निकाल कर प्रभु भक्ति में लगाये जन सेवा करे, ,

7 , अन्न वस्त्र दान [महादान ] किसी भी भूखे को अन्न दान [भोजन कराएँ ] किसी नंगे को वस्त्र दान करे ,, कृपया ये सारे दान जरुरतमंदों को ही करे,,,, रूपये पैसे सोने चाँदी हीरे मोती का दान की कोई मान्यता नही है, दान दिए धन ना घटे , नदी ने घटे नीर । अपनी आँखों देख लो, यों क्या कहे कबीर ,,,,,,,,,,,,,,,,,सेवा,, में राम कुमार ,,

Thursday, May 5, 2011

सर्व माता '' गों माता की जय''


सर्व माता '' गों माता की जय ....
एक समय था जब सबसे पहले गाये और गणेश को पूजा जाता था, तब पूरा भारत सब देशो में सबसे ऊपर रहता था, कोई भी देश हमारे देश की तरफ गलत नज़र नही उठता था,लेकिन अब इन दोनों की अहमीयत थोड़ी कम होगयी है ,इस लिए अब भारत में हीज़ड पन आगया है, बात महाभारत के समय की है तब भी कुछ समय के लिए भारत में हीज़ड पन आया था. महाभारत के एक श्लोक में अर्जुन को भारत कहा गया है. जब पांड्वो का अज्ञात वास चल रहा था. तब अर्जुन में भी हीज़ड पन था, और वो तबलावादक बन कर राज्य में राज़ सभा का मनोरंज़न करते थे . किसी तरह दर्योधन को ये बात पता चल गयी और वह अपने मामा शकुनी के साथ इस बात पर विचार करते है की अर्जुन और उसके भाइयों को कैसे बाहर निकला जाये ताकि वो पहचाने जाएँ , और उनका अज्ञात वास फिर शुरू हो जाये . तब मामा शकुनी कहते है की अर्जुन हिंद का वो सितारा है जो हर जुल्म सहन कर लेगा लेकिन गायों पर अत्याचार सहन नही कर सकता . अगर उसको बाहर लाना है तो राज्य की गायों को बंदी बना लो और से समाचार पूरे देश में फेला दो .बस यही हुआ , जब अर्जुन तक यह बात पहुंची तो वह लड़ने व आग बबूला हो उठा वो यह बात सहन नही कर सकता था, सब भाइयों ने बहुत समझाया की हो सकता है ये दर्योधन की चाल हो . लेकिन अर्जुन नही माना , उसने कहा की वो ऐसे कई अज्ञात वास झेल सकता है लेकिन गायों पर अत्याचार सहन नही करेगा , और फिर उठा लिए अपने पांचो हथियार , लड़ाई लड़ी गौओं को आज़ाद करवाया , आज हमें भी यही करना होगा भारत में से इस हीज़ड पन को दूर करना है , तभी हमारे देश की तरक्की होगी ,भगवान् श्री कृष्ण ने भी गों पूजा को सर्व प्रथम कहा है, हमारा कोई भी त्यौहार कोई नही पर्व इनकी पूजा बिना सफल नही होता था. हम क्यों ये भूल जाते है की हमारी दो माताये है, जिसने हमें जन्म दिया है केबल वाही हमारी माँ नही है ये गों भी हमारी माता है. बच्चे के जन्म के बाद अगर माता से दूध पुरा नहीं होता तब किसी का भी दूध उस बच्चे को नही पिला सकते , अगर पिला सकते है तो सिर्फ गौ माता का क्योंकि वो हमारी दूसरी माँ है , , एक माँ है पार्वती , शिव भोले नाथ की पत्नी और एक है गौ माँ , अब देखो दोनों एक ही है,दोनों ने हमें कैसे और क्या दिया , माँ पार्वती जब नहाने गयी तब उन्होंने ने अपने तन की मैल को उतार कर उसको सरजीव किया और अपने पुत्र दिनेश[ बाद में गणेश हुए] को पहरे पे बैठा दिया और कहा की कोई भी अन्दर ना आने पाए ये मेरी आज्ञा है, और उधर गौ माँ ने अपना मल [गोब्बर] दिया, उसको सर्व ऋषि मुनियों ने सर्व प्रथम माना सभी पूजा से पहले घर और हवन कुण्ड को गोब्बर से लीपना शुरू किया ,और इसी से बनी खाद को बंज़र ज़मीनों में डाल कर जमीनों को उपजाऊ बना दिया ,गोब्बर को खेतों का पहरेदार बना दिया ताकि कोई भी कीट कीड़ा फसल में ना आये , गोब्बर और दिनेश [गणेश ]को एक जैसा कम मिला हमारी माताओं से,. अब इधर दिनेश जी अपने काम पर बैठ पहरा दे रहे थे और शंकर जी आ गये , शंकर जी को यहाँ पर बीज कहा गया है ,उसने वहा पर बैठे पहरेदार से बहस की जब वो नही माने तो शंकर जी ने पार्वती पुत्र दिनेश का सर काट दिया. माता पार्वती जी ने यह सब देखा तो बहुत रोई और शंकर जी को सब सारी कहानी बताई, फिर शंकर जी ने एक हाथी का सर जोड़ कर दिनेश को गण राज़ गणेश के रूप में उत्पन किया और सर्व देवताओं में प्रथम पूजा का स्थान दिया. ,अब इधर देखिये गोब्बर ने खेतों में हरियाली करदी, इतने में मार्केट में बीज शंकर और खाद शंकर के रूप में आगयी , इन विदेशी खादों और विदेशी बीज ने गोब्बर को काट दिया. लेकिन यहाँ भी गौ माँ की बादशाहत कायम रही, और उसने गोब्बर की खासियत उजागर की,और गोब्बर को र्स्व प्रथम होने का हक़ मीला. अब गणेश जी बढे हुए और उनकी शादी हुई घर में आई रिद्दी सिद्दी , और इधर गोब्बर ने भी कमाल दिखाया फसल सब्जियां फल खूब हुए और इसने भी रिद्दी सिद्दी के मालिक होने दावा किया. उधर गणेश जी को दो पुत्र हुए शुभ ,लाभ , और इधर गोबर ने भी दिए दो वरदान, जो घर में साल भर खाने ले अनाज रखा वो शुभ जो बाहर बेचा वो लाभ ,दोनों ने कोई कसर नही छोड़ी, वो सब कुछ दिया जिसके हम हकदार थे,, आज फिर इन्ही दोनों को लाना है विदेशी बीज को विदेशी खाद को नही , गोब्बर गणेश को अपनाना है, हमें उस माँ को बचाना है जिस माँ का मल[गोब्बर] हमें रिद्दी सिद्दी ,शुभ लाभ,दे रहे है,और उसका मूत्र [गोमूत्र ] हमें शारीरिक बीमारियों से बचाता है, मैंने पहले बताया है की श्री कृषण जी ने भी गौ पूजां को सर्व पूजा है , उन्होंने अजमाया है , एक बार श्री कृष्ण और गौ माता में ठन गयी, कृष्ण जी कहते है की मैं सबसे बड़ा हूँ, क्योंकि मैं ही सब में हूँ, और सब मुझमे है,मैं ही शुरुआत हूँ मैं ही अंत हूँ, ,गौ माँ ने कहा की मैं नही मानती की तुम बढे हो,, तो कृष्ण जी ने अपना स्वरूप गौ माँ को दिखाया , सर्व सृष्टि सब पेढ़ पौधे नदियों जीव जंतु देवी देवता सब कुछ अपने में ही दिखाया, और कहा देख माँ ये मैं हूँ., थोड़ी देर में गौ माँ ने अपना स्वरूप बनाया कामधेनु गाये के रूप में आगयी , और वही सब कुछ कामधेनु माँ ने अपने में दिखा दिया पूंछ के बाल बाल में देवी देवता दिखे. तब हेरान हो कृष्ण जी ने दोनों हाथ जोड़ कर गौ माँ से पुछा हे सर्व माता आपने अपने रूप में सब कुछ दिखा दिया, हे माँ मैं आपके इस रूप को प्रणाम करता हूँ, कृपया करके ये बताइए आपके इस स्वरूप में मैं कहा हूँ, तब गौ माँ ने कहा हे कृष्ण जब मैं दूध दुगी फिर उस दूध को ज़मा कर दही बनाके उसको रिड़का जायेगा तब उस में से माखन निकलेगा और तुम उस माखन को खाने आओगे, अभी तुम्हारे आने में समय बाकि है तब कृष्ण जी ने गौ माँ को सर्व पूजा का हकदार माना था,,, .. जय गौ माता जी की, ,, गों रक्षा हम हिन्दुओं का सर्व प्रथम कर्तव्य है, इसके लिए हमें अपनी जान भी देनी पढ़े तो हम पीछे नही हटेंगे, और क्रपा करके आप भो गों और गोखाद को ही प्रथम स्थान दे, तभी हमारे भारत से ये हीज़ड पन दूर होगा,और हमारा हिन्दुस्थान विश्व में सबसे ऊपर होगा आओ प्रेम से बोलो जय गों माता की ,,जय गोब्बर गणेश की,,,,,,,,,,