Sunday, August 1, 2010

अलख निरंजन [आत्मा से परमात्मा का मिलन]




सघल वनस्पति माहि बसेंतरू सघल ढूध माहि घिया,
ऊच नीच माहि ज्योति समाणी घाटी घाटी माहि मथाऊ जिया....
हर जीव में वो[ भगवान] विराजमान है ,हर पेढ़ पोधे हर पशु पक्षी में उसी की आत्मा समाई है.उसी का अंश है सब में,जैसे हर दूध में घी छुपा हुआ है बस जरुरत है तो उसे जमा कर मथने की मतलब की मेहनत की .. हर घाटी [घाट] मतलब हर प्राण [प्राणी] के अन्दर वो ही है तो फिर ये भेदभाव ये ऊच नीच क्यों, सबके अन्दर एक हो जोत समाई है, जोकि हर जीव के अन्दर जीवित है, वो जिसका कोई एक नाम नही है,और जिसके नामो का कोई अंत भी नहीं है,वो जो अलख निरजन है.[ अलख ] मतलब इतना सूक्ष्म इतना छोटा की आँखे खुली रहने पर भी दिखाई न दे.जिसका ना तो जन्म हुआ और ना ही कभी वो मरा है, वो जो अजर अमर है, जिसको देखने के लिए मन की आँखे खोलनी होंगी, और निरजन इतना बढा इतना विशाल है की जंहा तक नजर जाये बस वो ही वो है, जिसका कोई अंत नही है.लेकिन वो ऐसे नही दिखेगा उसे देखने के लिए वो आंखे बंद करो जिनसे हम दुनियां देखते है,उसका ध्यान करो मन की आँखे खोलो बस थोड़ी ही देर में उसके दर्शन होने, एकचित हो के बैठ जाओ तब जब जग सोये सिर्फ मैं जागूं, मैं ही तो भगवान् है क्योंकि मैं हमेशा हमारे मन में है जब तक मैं नही जागूँगा मन को कैसे जगाऊंगा, मन जो की भगवान् का मंदिर है मन में ही तो बसते है मेरे प्रभु,सुबह दस वजे उठोगे तो कैसे मिलेंगे इसके लिए तो सुबह जल्दी उठाना पढ़ेगा,जल्दी उठो मन जाग गया तो समझो की प्रभु जाग गये है और वो हमारे साथ है, दुनियां के सब काम काज भुलादो, मन की सारी कडवाहट को भुला दो, और अपनी अच्छाइयां याद करो अगर तुमने गिन्दगी में कोई भी अच्छा कर्म किया है बस उसी को याद रखो, वो अच्छा कर्म तम्हारे याद होगा तो भगवान् को भी याद होगा, तो अपने अच्छे कर्मो को याद करते हुए मन की आँखे खोलो और उसमे ध्यान दो .फिर वो होगा जो कभी आपने सोचा भी ना होगा ,,, उसे ही तो कहते है आत्मा का परमात्मा का मिलन . और वो पल इतना आन्ददायक होगा की तुम्हे किसी और चीज़ की जरुरत महसूस नही होगी. तुम शुन्य में खो जाओगे वो शुन्य जंहा पर एक दिव्या प्रकाश है,जंहा पर मिलेंगे प्रभु अपने स्वरूप के साथ, फिर देखना ऐसी कौन सी वनस्पति कौन सा जीव उनमे नही है, वो जो हर जीव में है वो जिनमे हर जीव विराजमान है,, उन्हें ही तो कहते है अलख नीरजन....... ओ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,म श्री ,,