Friday, May 28, 2010

नारी एक रूप अनेक by lovely

हे नारी हे देवी सबसे पहले मेरा प्रणाम स्वीकार करो,,,,,
मैं तुम्हारे बारे में क्या लिखू क्योंकि सबसे पहले भी तुम हो और आखिर भी तुम हो .
हे देवी तुम करुनामई ममतामई माँ जगदम्बा हो और मुश्किल आने पर कलिका हो ...
हे नारी मैं तुम्हे किसी एक नाम से नहीं पुकार सकता क्योंकि सबसे पहले तुम मुझे मेरी माँ के रूप में मिली फिर मेरे बाद जन्मी मेरी छोटी सी प्यारी सी बहन के रूप में मिली उसके बाद तेरे रूपों की तो मैं गिनती भी नहीं कर सकता.कभी बुआ जी बनके दुलारती हो,
कभी नानी बनके पुचकारती हो,कभी दादी बनकर अपनी प्यारी सी गोद में बैठाकर मीठी मीठी कहानिया सुनाती हो फिर चाची ताई मामी तो कभी माँ जेसी[मांसी]बनकर मुझे गोद में उठाकर खिलाया करती हो.
मेरी माँ तो मेरी प्रथम गुरु माँ भी कहलाई उसी से तो मैंने चलना फिरना नहाना खाना उठना बेठना सिखा.मेरी तोतली सी आवाज में जब तुमने मेरा पहला शव्द माँ सुना तब तुमने अपनी सारी ममता मुझ पर न्योछावर करदी, मैं थोडा सा बड़ा हुआ तो तेरे एक और रूप से मेरा सामना हुआ,
जब मैं पहले दिन अपने सकूल गया तो वंहा पर मेरी शिक्षा गुरु माँ में भी तेरा ही रूप पाया.उन्होंने भी माँ,बहन,दादी,नानी के जेसे मेरा ख्याल रखा,
और मेरा मार्गदर्शन किया.
मैं थोडा और बड़ा हुआ तो तेरे ही रूप में मेरी सहपाठी मेरी दोस्त बनी.
फिर मैं थोडा और बड़ा हुआ शायद काफी बड़ा हुआ क्योंकि अब मैं तेरे ही रूप को बहयाने चला हूँ तेरे ही रूप के साथ मैंने सात फेरे लेकर उसे अपनी अर्धांग्नी बनाया. हे नारी तुमने यंहा भी पिछले सारे रिश्तो की लाज रखी .तुम अपने प्यारे से आँगन को छोड़ के मेरे दो कमरों के मकान को घर बनाने चली आई.मैं तुम्हारे इस बलिदान रुपी रूप को ननम करता हूँ यंहा तुमने मुझे अनूठा स्त्री सुख दिया और मेरे दुखो में दुखी सुखो में सुखी हो कर हर हालात में मेरा साथ दिया कभी काम से थका हुआ आया तो मेरे पांव दबाकर मेरी थकान दूर की,कभी बीमार पड़ा तो तुमने एक माँ का फर्ज निभाया मेरी सेवा की मेरे माथे पर मलहम लगाकर मुझे जल्दी से सवस्थ्य किया कभी हाथ में धागा बांध के बहन का फर्ज निभाया कभी नींद नहीं आई तो मीठी मीठी प्यारी सी बांते कर दादी नानी का फर्ज निभाया मुश्किलों से लड़ना सिखाकर मेरी शिक्षा गुरु का फर्ज निभाया,,तेरे रूपों तेरे फर्जो और तेरी महिमा का कोई अंत नहीं है इसलिए हे नारी मैं राम कुमार [lovely ] तुम्हे शत शत प्रणाम करता हूँ ,,,,,मेरा प्रणाम स्वीकार करे ,,,,

Thursday, May 20, 2010

हिन्द की माता ,,,,,,,,,,,,हिन्दी


मैं हिंदी हूँ,मेरा जन्म सदियों पहले हुआ और मुझे हिंद की माँ होने का सोभाग्या प्राप्त है.विश्व की सब वाषाओं में सबसे ज्यादा उम्र मेरी ही है.बड़े बड़े देवी देवताओं ने मुझे माँ कह कर मुझे अपनाया.मेरे ही सहारे से आम इन्सान से देवता बने.महारिशी बाल्मिक,वेद व्यास गुरु नानक देव जी से लेकर तुलसी दास,कालिदास,संत कवीर और भी हजारो संत हुए है,इन्होने कोई लड़ियाँ नहीं लड़ी कोई युद्ध नहीं जीता, इन सभी ने मेरे नाम का सहारा लिया.कलम के जादूगर बने और प्रसिद्धी हासिल की और अपने साथ साथ मेरा भी नाम रोशन किया,इन्ही की लेखनी से मुझे विश्व भर में पहचाना मिली,संस्कृत मेरी माँ है क्योंकि जन्म इन्ही से हुआ.और उर्दू ,कश्मीरी,बंगाली,उरिया,पंजाबी,रोमानी,मराठी और नेपाली ये सब मेरी बहने है.मेरा वजूद सिर्फ हिंद तक सिमित नहीं है,मेरी पहचान १३७ देशो में है.मैं चीनी बाषा के बाद दुसरे स्थान पर थी,लेकिन पिछले दो दशको से मेरा विस्तार बढ़ी तेजी से हुआ,अब तो अंग्रेजी की पैदाइश कम्प्यूटर ने भी मान लिया है की वो भी मेरे बिना अधूरा है.पुरे विश्व में मेरे १५० से ज्यादा हिंदी विश्व विध्यालय है.अब समूचे विश्व में चीनी वाषा के प्रयोग करने वालो से कंही अधिक हिंदी जानने वालो की है इसलिए अब मैं अंग्रेजी सहित विश्व की सभी वषाओं को पीछे छोड़ पहले स्थान पर आगयी हूँ,आज विश्व भर में हिंदी की पत्र पत्रिकाएँ मोजूद है और वो इस बात की गवाह है की विदेशों में बसे हिंद्पुत्र आज भी अपनी माँ बोली वाषा और अपनी धरती माँ से जुढ़े हुए है.अतः मैं उन सभी की शुक्रगुजार हूँ जिन्होंने अब तक मुझे पढ़ा लिखा और विदेशों में भी जाकर मेरे असितत्व को बरकरार रखा.मेरे विश्व्विस्तार में मेरा साथ दिया,मैं अपनी आने वाली पीढ़ी को भी प्राथना करती हूँ की चाहे वो विश्व के किसी भी कोने मैं हों मेरे असितत्व मेरी गरिमा को बनाये रखे. मैं आपके अच्छे वभिष्य की मंगल कामना करती हूँ,मैं प्रभु के श्री चरणों में विनती करती हूँ के वो हिन्द और हिंद्पुत्रो का पुरे विश्व में वभिष्य उज्वल हो पुरे विश्व से एक ही आवाज आये ,,,,,,,,,,जय हिन्द जय हिंदी.

Wednesday, May 19, 2010

धरती कहे पुकार के,,,,,,,,,,,,


मैं पृथ्वी हूँ ,जिसे आप धरती माता कहते हो, मैं सदियों से हर जिन्दा और मुर्दा जीवो को आश्रय देती आ रही हूँ.ये बहती हुई नदिया मेरा योवन है ये हरी भरी पहाड़िया ये झण झण करते हुए झरने मेरा सोंद्रया है. मुझ पर बसे हर जीव मेरे बच्चे ही तो है और इन १०००८४ योनियों में मेरा सबसे प्यारा बच्चा मानव रूप में है जिसने मुझे माँ के खिताब से नवाजा है.सदियों से इसी योनी ने मेरा ख्याल रखा है,हर मोके पर माँ के रूप में मेरी पूजा हुई है.लेकिन आज यही सबसे प्यारा मेरा लाडला पुत्र मेरे लिए खतरा बना हुआ है.मैंने हमेशा तुम्हारा ख्याल रखा और तुन्हारी हर जरूरत को पूरा करती आ रही हूँ.लेकिन अब मुझे तुमसे शिकायत है.मेरा ख्याल तो दूर की बात है.तुम तो मेरी बर्बादी पे तुले हुए हो.अब हर रोज़ होती मेरी बर्बादी को मैं सहन नही सकती,हे मानव मेरी बर्बादी का जिम्मेदार तुम हो.रोक दो ये मेरी बर्बादी ,,तुम्हारा वजूद भी तो मुझसे ही है,,
मैं ही ना रही तो तुम कंहा रहोगे.तुम्हारे अत्याचार और जुल्म को सहते हुए किसी दिन मेरी छाती फट जाएगी और वो दिन युम्हारे लिए क़यामत का दिन होगा.तुम सब एक दिन मौत के आगोश में चले जाओगे. हे मानव मैं तुम्हारी प्यारी धरती माता तुम्हारे ही वजूद के लिए ,तुम्हारे ही अच्छे भविष्य के लिए तुम्ही से भीख मांग रही हूँ. रोक दो ये विनाश अगर अपना वजूद जिन्दा रखना है तो मेरे वजूद को बचालो...कृपा कर मुझे बचालो .
[ पृथ्वी ]

Tuesday, May 11, 2010

कन्या दान महादान [एक अजन्मी बच्ची ]


भ्रूण हत्या महा अभिश्राप
मैं वो हूँ जिसका इस दुनिया में अभी कोई वजूद नहीं है; मैं अक अजन्मी बच्ची जो अभी अपनी प्यारी;ममतामयी करूंनामई माँ की कोख में पल रही हूँ . मुझे नहीं पता के मेरा क्या होगा;मैं इस दुनिया में जन्म ले पाऊँगी या फिर किसी कूड़े के डेर में दफ़न कर दी जाउंगी. मेरा वजूद इस समय उस पानी की बूंद के तरह है जिसे नहीं पता करे वो नीचे जाकर किसी आग की चिंगारी पे गिर कर नष्ट हो जायेगा या फिर किसी सीप के खुले हुए मुह में गिर कर मोती बनकर रोशन हो जाउंगी. सो हे मां मेरी आपसे प्राथना है की मेरा क़त्ल करके महा पाप की भागी मत बन मैं तेरी ही छाया हूँ.मैं तेरा ही अंश हूँ,तू मुझे यूँ ही नष्ट मत कर,तुने भी दुनिया देखी है मुझे भी दुनिया देखने का हक़ देदे ,मुझसे मेरा हक़ मत छीनो,हे मां मैं भी दुनिया देखना चाहती हूँ' और ये सिर्फ तुम कर सकती हो ,मैं अपने नन्हे नन्हे पैरो में पायल पहन कर जब तेरे आँगन में छम छम करुँगी तो तेरा सारा घर ख़ुशी से भर जायेगा,लेकिन हे मां अगर तुने मुझे इस दुनिया में आने से पहले ही ख़त्म करवा दिया तो मरा हश्र तू भी सोच नहीं पायेगी ;मुझे तो मिटटी भी नसीब नहीं होगी जिसपे हर इंसान का आखरी हक़ होता है ,हो सकता है किसी कूड़े के डेर में कोई पक्षी मेरे शारीर को नोचे या कोई कुत्ता मेरे शारीर को उठाये फिरे,,हे माँ तेरे गर्भ में मेरी वो आखरी चीख तुम्हारा दिल देहला देने वाली होगी लेकिन अफ़सोस तुम मेरी चीख को महसूस भी न कर सकोगी.तुम इतनी निर्दयी कैसे हो सकती हो,पूत कपूत हो सकते है पर माता कभी कुमाता नहीं हो सकती. हे माँ में तेरा ही अंश हूँ तू मुझे गर्भ में नष्ट तो करवा सकती है लेकिन तुम भी कभी चैन से रह न पाओगी, मुझमे यैसा क्या नहीं जो तू मुझे मरवाने पे तुली है.क्या बंश वृदि के लिए सिर्फ बेटो की जरूरत होती है.लेकिन हे माँ ये भी तो सोच बंश को बढाने के लिए तेरे बेटे को भी एक लड़की की जरुरत पड़ेगी फिर वो भी तो मेरा ही रूप होगा.तेरा बेटा अकेला तेरा वंश नही बढा सकता, अगर हर माँ मुझे दुनिया में आने से पहले ही मरवा देगी तो तेरा वंश तो क्या ये दुनिया भी नही बढ़ सकती.हे माँ मुझे मत मरवा नही तो तेरी कोख कलंकित हो जायेगी और फिर ये भी तो हो सकता है के फिर कभी तेरी कोख में दोवारा कोई अंश ही न पले.और तू जिन्दगी भर बाँझ बन कर रह जाये,हे माँ मेरे नन्हे नन्हे हाथो में इतनी ताकत नहीं है की मैं अपनी तरफ आने वाले उस कातिल औजार को रोक सकू और तेरी इस प्यारी सी कोख इतनी जगह भी तो नहीं के मैं अपना कोई बचाब कर सकू ,यंहा तो मेरी हिफाजत तुने ही करनी है हे माँ मुझे मत मरवा मैं तेरा ही अंश हूँ .मुझे भी दुनिया देखने दे, हे माँ मुझ पर दया कर रहम कर हे माँ मुझे बचाले हे माँ मुझे बचाले.......कृपा कर मुझे जन्म दे मैं लक्ष्मी स्वरूप तुझसे वादा करती हूँ दुनिया में आके मैं तेरा दामन खुशीओ से भर दूंगी.कृपा कर ,,,,,,,,,,मुझे जन्म दे ..................
हे माँ जन्म ले लेने दे ,
फिर चाह्ये तो कोई भी काम करवा लेना,.
खाना एक समय का कम दे देना ,
मैं सह लुंगी पर हे माँ
मुझे कोख में ही ना मरवा देना ,,,,,,,,,,,,,,
please save me,,,,,,,,,,,,,

Sunday, May 9, 2010

aankh


मैं आँख हूँ शरीर का एक खास हिस्सा वो हिस्सा जिसके बिना जिन्दगी में अँधेरा ही अँधेरा है .ये जानते हुए भी मुझमे जरा सा भी घमंड नहीं है ,बल्कि मैं शुक्रगुजार हूँ इस शरीर की जिसने सदा ही एक छोटे बच्चे के जेसे मेरा ख्याल रखा .मुझे ज़रा सी भी तकलीफ नहीं होने दी ,धुल का एक कण भी अगर मुझ में गया तो मेरा ये प्यारा शरीर सिर से पाँव तक तिलमिला उठा ,पूरी जिन्दगी तुमने मंहगे महंगे चश्मे लगा कर मुझे गरम हवा कभी ठंडी बर्फीली हवाओं से तो कभी तेज आंधी और बारिशो से मेरा ख्याल रखा ,मुझे लेकर कितने ही शयरों ने शयरी की .कितनी ही फिल्मे बनी मेरी तारीफों के किस्से पूरी दुनिया में मशहूर है.ऐश्वर्या राय को ही लेलो उनकी आँखे कितनी सुन्दर है.और उनको अपनी आँखों से इस कदर प्यार है के वो पहले ही आँखे दान करने का फेसला कर चुकी है ,क्योंकि वो नहीं चाहती की उनके शरीर के साथ उनकी आँखे भी जल कर ख़त्म हो जाएं .क्रिपा करके आप भी ऐसा ही करें , ऐसा करके आप किसी के अंधेपन जेसा श्राप ख़त्म कर सकते है,याद रखे के अंधापन किसी श्राप से कम नहीं है ,और नेत्र दान महादान .....
इस महादान से शायद आपको मोक्षः प्राप्त हो जाए और आप इस जीवन चक्र से मुक्तं हो जाए ...अंतिम समय में मैं [आँख] आपसे एक वादा चाहती हूँ की जेसे आपने ताउम्र मेरी हिफाजत की है बस एक अहसान और करदो मुझे अपने साथ चिता में मत जलाना ,न मिटटी में दफ़न करना क्योंकि मरा तो शरीर है में तो अभी भी किसी की अँधेरी दुनिया को रोशन कर सकती हूँ बस ये मेरी आपसे आखरी प्रार्थना है ,मुझे किसी और को दान करदो ,,,,क्रिपा करके
जीते जीते रक्त दान
जाते जाते नेत्र दान ............
अपील करता
रामकुमार [lovely]....