Tuesday, May 11, 2010

कन्या दान महादान [एक अजन्मी बच्ची ]


भ्रूण हत्या महा अभिश्राप
मैं वो हूँ जिसका इस दुनिया में अभी कोई वजूद नहीं है; मैं अक अजन्मी बच्ची जो अभी अपनी प्यारी;ममतामयी करूंनामई माँ की कोख में पल रही हूँ . मुझे नहीं पता के मेरा क्या होगा;मैं इस दुनिया में जन्म ले पाऊँगी या फिर किसी कूड़े के डेर में दफ़न कर दी जाउंगी. मेरा वजूद इस समय उस पानी की बूंद के तरह है जिसे नहीं पता करे वो नीचे जाकर किसी आग की चिंगारी पे गिर कर नष्ट हो जायेगा या फिर किसी सीप के खुले हुए मुह में गिर कर मोती बनकर रोशन हो जाउंगी. सो हे मां मेरी आपसे प्राथना है की मेरा क़त्ल करके महा पाप की भागी मत बन मैं तेरी ही छाया हूँ.मैं तेरा ही अंश हूँ,तू मुझे यूँ ही नष्ट मत कर,तुने भी दुनिया देखी है मुझे भी दुनिया देखने का हक़ देदे ,मुझसे मेरा हक़ मत छीनो,हे मां मैं भी दुनिया देखना चाहती हूँ' और ये सिर्फ तुम कर सकती हो ,मैं अपने नन्हे नन्हे पैरो में पायल पहन कर जब तेरे आँगन में छम छम करुँगी तो तेरा सारा घर ख़ुशी से भर जायेगा,लेकिन हे मां अगर तुने मुझे इस दुनिया में आने से पहले ही ख़त्म करवा दिया तो मरा हश्र तू भी सोच नहीं पायेगी ;मुझे तो मिटटी भी नसीब नहीं होगी जिसपे हर इंसान का आखरी हक़ होता है ,हो सकता है किसी कूड़े के डेर में कोई पक्षी मेरे शारीर को नोचे या कोई कुत्ता मेरे शारीर को उठाये फिरे,,हे माँ तेरे गर्भ में मेरी वो आखरी चीख तुम्हारा दिल देहला देने वाली होगी लेकिन अफ़सोस तुम मेरी चीख को महसूस भी न कर सकोगी.तुम इतनी निर्दयी कैसे हो सकती हो,पूत कपूत हो सकते है पर माता कभी कुमाता नहीं हो सकती. हे माँ में तेरा ही अंश हूँ तू मुझे गर्भ में नष्ट तो करवा सकती है लेकिन तुम भी कभी चैन से रह न पाओगी, मुझमे यैसा क्या नहीं जो तू मुझे मरवाने पे तुली है.क्या बंश वृदि के लिए सिर्फ बेटो की जरूरत होती है.लेकिन हे माँ ये भी तो सोच बंश को बढाने के लिए तेरे बेटे को भी एक लड़की की जरुरत पड़ेगी फिर वो भी तो मेरा ही रूप होगा.तेरा बेटा अकेला तेरा वंश नही बढा सकता, अगर हर माँ मुझे दुनिया में आने से पहले ही मरवा देगी तो तेरा वंश तो क्या ये दुनिया भी नही बढ़ सकती.हे माँ मुझे मत मरवा नही तो तेरी कोख कलंकित हो जायेगी और फिर ये भी तो हो सकता है के फिर कभी तेरी कोख में दोवारा कोई अंश ही न पले.और तू जिन्दगी भर बाँझ बन कर रह जाये,हे माँ मेरे नन्हे नन्हे हाथो में इतनी ताकत नहीं है की मैं अपनी तरफ आने वाले उस कातिल औजार को रोक सकू और तेरी इस प्यारी सी कोख इतनी जगह भी तो नहीं के मैं अपना कोई बचाब कर सकू ,यंहा तो मेरी हिफाजत तुने ही करनी है हे माँ मुझे मत मरवा मैं तेरा ही अंश हूँ .मुझे भी दुनिया देखने दे, हे माँ मुझ पर दया कर रहम कर हे माँ मुझे बचाले हे माँ मुझे बचाले.......कृपा कर मुझे जन्म दे मैं लक्ष्मी स्वरूप तुझसे वादा करती हूँ दुनिया में आके मैं तेरा दामन खुशीओ से भर दूंगी.कृपा कर ,,,,,,,,,,मुझे जन्म दे ..................
हे माँ जन्म ले लेने दे ,
फिर चाह्ये तो कोई भी काम करवा लेना,.
खाना एक समय का कम दे देना ,
मैं सह लुंगी पर हे माँ
मुझे कोख में ही ना मरवा देना ,,,,,,,,,,,,,,
please save me,,,,,,,,,,,,,

1 comment:

  1. आह.... कितना ही करुण लेख है आपका.
    एकदम समाज का यह वो पक्ष है जो बहुत ही बुरा है. कन्या के साथ ज्यादती नहीं होनी चाहिए.
    जितना जरूरी लड़का है उतना ही जरूरी लड़की भी. किसी एक के बिना समाज की कल्पना भी नहीं की जा सकती है.

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