Wednesday, May 19, 2010

धरती कहे पुकार के,,,,,,,,,,,,


मैं पृथ्वी हूँ ,जिसे आप धरती माता कहते हो, मैं सदियों से हर जिन्दा और मुर्दा जीवो को आश्रय देती आ रही हूँ.ये बहती हुई नदिया मेरा योवन है ये हरी भरी पहाड़िया ये झण झण करते हुए झरने मेरा सोंद्रया है. मुझ पर बसे हर जीव मेरे बच्चे ही तो है और इन १०००८४ योनियों में मेरा सबसे प्यारा बच्चा मानव रूप में है जिसने मुझे माँ के खिताब से नवाजा है.सदियों से इसी योनी ने मेरा ख्याल रखा है,हर मोके पर माँ के रूप में मेरी पूजा हुई है.लेकिन आज यही सबसे प्यारा मेरा लाडला पुत्र मेरे लिए खतरा बना हुआ है.मैंने हमेशा तुम्हारा ख्याल रखा और तुन्हारी हर जरूरत को पूरा करती आ रही हूँ.लेकिन अब मुझे तुमसे शिकायत है.मेरा ख्याल तो दूर की बात है.तुम तो मेरी बर्बादी पे तुले हुए हो.अब हर रोज़ होती मेरी बर्बादी को मैं सहन नही सकती,हे मानव मेरी बर्बादी का जिम्मेदार तुम हो.रोक दो ये मेरी बर्बादी ,,तुम्हारा वजूद भी तो मुझसे ही है,,
मैं ही ना रही तो तुम कंहा रहोगे.तुम्हारे अत्याचार और जुल्म को सहते हुए किसी दिन मेरी छाती फट जाएगी और वो दिन युम्हारे लिए क़यामत का दिन होगा.तुम सब एक दिन मौत के आगोश में चले जाओगे. हे मानव मैं तुम्हारी प्यारी धरती माता तुम्हारे ही वजूद के लिए ,तुम्हारे ही अच्छे भविष्य के लिए तुम्ही से भीख मांग रही हूँ. रोक दो ये विनाश अगर अपना वजूद जिन्दा रखना है तो मेरे वजूद को बचालो...कृपा कर मुझे बचालो .
[ पृथ्वी ]

3 comments:

  1. बड़े ही सुन्दर ढंग से आलेख का प्रारम्भ किया है और हम बड़े ही प्रेम से पढ़ रहे थे, अचानक आलेख के बीच में धरती माता कुपित हो गयी.
    हम चौंक गये कि कितने प्रेम से आलेख का प्रारम्भ किया और फिर डरा दिया.
    खैर, यहाँ पर आपने बहुत ही खूबसूरती से पृथ्वी माता के हमसे सम्बन्ध और भविष्य की स्थिति का चित्रण किया है.
    धन्यवाद.

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  2. सर आप तो काफी पढ़े लिखे है आप काफी अच्छे लेखक भी है, लेकिन मैं कोई लेखक नहीं हूँ और न ही ज्यादा पढ़ा लिखा हूँ, बस मैंने जो महसूस किया वो लिख दिया,और मुझे ये लगता है जिस किसी को अपना वजूद जिन्दा रखना है तो वह खुद अपने हाथ पांव मारे,शायद मेरे कहने से कोई आँखे दान ना करे ,लेकिन अगर आँख खुद अपने होने और ना होने की सच्चाई एक शारीर के सामने रखे तो शरीर को भी उसका एहसास होगा,,,यही सोच मैंने कभी आँख बनकर कभी बेटी तो कभी पृथ्वी बनकर जो महसूस किया वो शव्दों में पिरोकर लेख बना दिया ,,बस वाक्की आप खुद समझदार है [राम कुमार ]

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  3. Your views are very nice. I like it very much.
    we need to protect the Earth.

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